भक्ति में संपूर्णता, निष्ठा और श्रद्धा होना चाहिए – साध्वी कृष्णानंद

भक्ति में संपूर्णता, निष्ठा और श्रद्धा होना चाहिए – साध्वी कृष्णानंद
गीता भवन में महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद के सानिध्य में चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ में धूमधाम से मना गोवर्धन पूजा उत्सव
इंदौर । दुनिया में कई तरह के सुख मिल सकते हैं। धन, वैभव, पद, प्रतिष्ठा और अन्य तरह के भोग विलास से सुख तो मिल सकता है, लेकिन सच्चा आनंद तो परमात्मा की प्राप्ति से ही संभव है। बाकी सब सुख थोड़े समय के लिए हो सकते हैं, लेकिन भगवान से मिलने वाला सुख स्थायी होता है। भगवान कहीं और नहीं हमारे अंतर्मन में ही विराजित हैं, लेकिन उन्हें अनुभूत करने के लिए मन को मथना जरूरी है। जिस तरह मक्खन को मंथन के बाद घी में बदला जाता है, उसी तरह मन का मंथन भी किसी न किसी रूप में हमें परमात्मा की अनुभूति कराता है। भक्ति में सम्पूर्णता, निष्ठा और श्रद्धा होना चाहिए। मन की पवित्रता और निर्मलता भी जरूरी है।
साध्वी कृष्णानंद ने कहा कि सत्य मनुष्य को निर्भय बनाता है। सत्य के स्वरूप का चिंतन भगवान कृष्ण का ही चिंतन होगा। कृष्ण ही जगत की उत्पत्ति के आधार और कारण है। उनकी प्रत्येक क्रिया में जीवन के कल्याण का भाव होता है। हम धन और वैभव से भोग विलास तो प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन सच्चा आनंद परमात्मा की सन्निधि से ही मिलेगा।
कथा में पहले दिन से ही ब्रज क्षेत्र से आए गायकों और संगीतज्ञों के भजनों का जादू चल रहा है। कथा में गोवर्धन पूजा का उत्सव भी धूमधाम से मनाया गया। भगवान को छप्पन भोग भी परोसे गए। बाल-ग्वालों ने भगवान की पूजा-अर्चना की। महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद ने भी इन बाल-गोपालों को आशीर्वाद दिए। व्यासपीठ का पूजन कमलेश शिवहरे, गौरव शिवहरे, श्याम मोमबत्ती, प्रमोद बिंदल एवं अर्पित शिवहरे आदि ने किया।
गीता भवन में भागवत कथा का यह क्रम 29 अप्रैल तक प्रतिदिन सांय 4 से 7 बजे तक जारी रहेगा। सोमवार को कथा में रुक्मणी विवाह तथा मंगलवार को सुदामा चरित्र के साथ समापन होगा।